गर्भावस्था (Pregnancy in Hindi) एक ऐसा शब्द है जो केवल महिलाओं को ही नहीं, पूरे परिवार को ख़ुशी देता है। गर्भावस्था क्या है (Garbhavastha Kya Hai) यह एक महिला से बेहतर और कोई नहीं समझ सकता है।
- गर्भावस्था क्या है?
- गर्भावस्था के लक्षण (Pregnancy Symptoms in Hindi)
गर्भावस्था क्या है? (What is Pregnancy in Hindi?)
गर्भावस्था को समझे तो मतलब होगा गर्भ की अवस्था, इस अवधि के लिए महिला के गर्भ में एक शुक्राणु और अंडा मिलकर भ्रूण बनाते है जिससे गर्भावस्था की शुरुआत होती है। धीरे-धीरे भ्रूण एक शिशु का रूप ले लेता है।
जो महिला पहली बार माँ बनने वाली होती है, उन्हें ज्ञात नहीं होता की किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए और क्या-क्या करना चाहिए। कई महिलाओं की तो यह दुविधा भी होती है कि वह प्रेगेंट है या नहीं? प्रेगनेंसी में क्या होता है (Pregnancy Me Kya Hota H)? ऐसे ही ना जाने कितने सवालों के जवाब को ढूंढ़ती हैं, उन्ही सब सवालों के जवाब इस आर्टिकल में मौजूद है।
कोई महिला गर्भवती हैं या नहीं, यह जानने का सबसे सही तरीका प्रेग्नेंसी टेस्ट ही है। लेकिन पीरियड्स ना होने से पहले कुछ सामान्य लक्षणों का दिखना गर्भावस्था के पहले संकेत हो सकते हैं।
गर्भावस्था के लक्षण (Pregnancy Symptoms in Hindi)
पीरियड्स
सबसे अहम लक्षण पीरियड्स का बंद होना है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि महिला के गर्भाशय में अंडा और शुक्राणु मिलकर भ्रूण तैयार करते हैं।
सांस लेने में भारीपन महसूस करना
महिला को गर्भावस्था के शुरूआत में सांस लेने में वैसा ही भारीपन लगेगा, जैसा सीढि़यां चढ़ने पर लगता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पेट में पल रहे भ्रूण को अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है जो उसे माँ के द्वारा मिलती है। सांस लेने में परेशानी महिला को पूरी गर्भावस्था के दौरान रहती है।
स्तनों में भारीपन महसूस होना
गर्भावस्था के शुरूआती दिनों के दौरान स्तनों में भारीपन और उनके आकार में परिवर्तन नज़र आता है। निप्पल्स के आसपास के हिस्से जिसे एरोला कहा जाता है उसमें अधिक कालापन होना और स्तनों की नसे फूल जाती है।
उलटी
गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में अधिकतर महिलाओं को उलटी की समस्या हो सकती है। यह ज़्यादातर एक महीने बाद शुरू होती है। इसके साथ-साथ चक्कर आने की शिकायत भी हो सकती है। लेकिन 5-6 महीने बाद यह लक्षण कम होने लगते है।
थकान महसूस होना
प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोन्स में बदलाव होने के कारण शरीर थक-सा जाता है। कई महिलाओं को प्रेग्नेंसी के शुरूआती तीन महीनों में सबसे अधिक थकान महसूस होती है। समय के साथ-साथ भ्रूण के परिपक्व होने पर उनकी दिक्कतें बढ़ने लग जाती है।
मतली
अधिकतर महिलाओं को गर्भावस्था के शुरूआती दिनों से लेकर 6 महीने तक सुबह मतली होने की संभावना सबसे अधिक नज़र आती है। कई महिलाओं को तीनों समय सुबह, दोपहर और रात के दौरान भी मतली हो सकती है ऐसा उनके शरीर में होने वाले बदलावों के वजह से हो सकता है। मतली की दिक्कत प्रेग्नेंसी के 6 महीने के बाद कम होने लग जाती है। गर्भावस्था के समय ऐसे भोजन का सेवन करना चाहिए जो आसानी से पचा सकें।
अधिक पेशाब का आना
गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में जैसे-जैसे गर्भाशय बड़ा होता है तो मूत्राशय पर दबाव डालता है और पेशाब बार-बार आता है।
सिरदर्द
गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में शरीर के हार्मोन्स में परिर्वतन आने के कारण सिरदर्द होता है।
पीठदर्द
यदि आपको कभी भी पीठ दर्द जैसी शिकायत नहीं रही है और अचानक से पीठ में हल्का -हल्का दर्द महसूस होता है तो ऐसा गर्भावस्था के कारण हो सकता है।
ऐंठन
यदि आप अपने पेट में ऐंठन महसूस करती है तो इसका मतलब यह हो सकता है कि आपके गर्भाशय में बच्चें का आकार बढ़ने से नसों पर खिंचाव हो रहा है।
खाने के प्रति अरूचि
गर्भावस्था के दौरान अधिकतर महिलाओं को खट्टे खाने की इच्छा होती है और सादे भोजन में अरूचि होने लगती है।
कब्ज़
डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान महिला को कई आयरन और कैल्शियम की दवाई देते है जिस कारण कब्ज़ की शिकायत रहती है। कब्ज़ की समस्या वैसे भी गर्भावस्था में हार्मोनल बदलाव के कारण भी हो सकती है।
स्वभाव बदलना
गर्भावस्था के दौरान महिला का स्वभाव पल भर में बदलता रहता है। कभी बेहद खुश तो कभी अचानक से स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है। प्रेग्नेंसी के शुरूआती दिनों में मूड स्विंग्स होना आम बात है।
ब्लड़ स्पॉंट
यदि आपके पीरियडस के दिन नजदीक है और आप गर्भधारण कर लेती है तो ऐसा मुमकिन है कि कभी-कभी आपको ब्लड स्पॉटिंग नज़र आ सकती है। यह सामान्य ब्लड स्पॉट से काफी हल्का होता है, इसको इम्प्लांटेशन ब्लडिंग कहते हैं।